SIDH KUNJIKA NO FURTHER A MYSTERY

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देवी माहात्म्यं चामुंडेश्वरी मंगलम्

धिजाग्रं धिजाग्रं त्रोटय त्रोटय दीप्तं कुरु कुरु स्वाहा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

हुं हु हुंकाररूपिण्यै जं जं जं जम्भनादिनी।

श्री महा लक्ष्मी अष्टोत्तर शत नामावलि

न तस्य जायते सिद्धिररण्ये रोदनं यथा।।

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति अष्टमोऽध्यायः

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

देवी माहात्म्यं दुर्गा सप्तशति द्वितीयोऽध्यायः

श्रृणु देवि ! प्रवक्ष्यामि, कुंजिका स्तोत्रमुत्तमम्।

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

देवी माहात्म्यं दुर्गा द्वात्रिंशन्नामावलि

श्री महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम् (अयिगिरि नंदिनि)

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